वेदना-संवेदना के बीहड़ जंगलों को पार करती हुई बड़ी खामोशी से तूलिका सृजन पथ पर अग्रसर हो अपनी छाप छोड़ती चली जाती है जो मूक होते हुए भी बहुत कुछ कहती है । उसकी यह झंकार कभी शब्दों में ढलती है तो कभी लघुकथा का रूप लेती है । लघुकथा पलभर को ऐसा झकझोर कर रख देती है कि शुरू हो जाता है मानस मंथन।
प्रवासी दुनिया में आज (17.4.2013)लघुकथा 'होलिका मंदिर ' प्रकाशित हुई है।
प्रकाशित -लघुकथा संग्रह
आलेख प्रकाशन ,दिल्ली
मेरी प्रथम ई बुक
उलझन भरा संसार
यह ई बुक पोथी॰कॉम के सहयोग से अंतर्जाल पर प्रकाशित हुई है। पाठकों के लिए पूरी किताब खुली हुई है। इसमें 10 कहानियाँ है जिनका आधार बाल मनोविज्ञान है और कुल 60 पृष्ठ हैं।
मन की रानी छतरी में पानी -सिद्धार्थ बुक प्रकाशन दिल्ली
काव्य संग्रह
मंजूषा प्रकाशन ,उत्तम नगर,नई दिल्ली
मेरे बारे में
बंगलौर, कर्नाटक, India
एक कहानीकार हूँ । अब चाहे वह फल-फूलों से लदी और काँटों से बिंधी कथा हो या लघुकथा,बालकथा हो या लोककथा सभी विधाओं पर लेखनी गतिशील है । इस ब्लॉग में मेरी कनाडा डायरी व आलेख हैं। प्यारी -प्यारी स्मृतियाँ व संस्मरण है।
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