क्या होगा हमारा !-सुधा भार्गव
-यह क्या मुसीबत है - - - सुबह से ही पानी की किल्लत ! न बाथरूम में पानी न रसोई में पानी I
-तुम को मालूम नहीं !पानी का राशन हो गया है I एक एरिया में एक -एक दिन छोड़कर आएगा ,वह भी केवल चार घंटे को I - हे भगवान् ! मैंने तो चार दिन से अखबार ही नहीं पढ़ा I पड़ोसिन से एक बाल्टी पानी मांग लाती हूं I
-आज तो पड़ोसिन भी नहीं देगी I वह अपना भला करेगी या तुम्हारा I
-मेरी पड़ोसिन ऐसी नहीं है I
-तो आजमा लो - - - I
छाया बड़े गर्व से उठी और सामने ही राधा के दरवाजे की घंटी बजा दी I राधा ने दरवाजा खोला I बाल्टी लिए खडी छाया को देख वह समझ गयी उसकी मंशा I
चटक से बोली --माफ करना ,पानी से तो हमारे ही पूरे नहीं पड़ेंगे - - - तुम्हें कैसे दे दें I संवाद को आगे न बढ़ाते हुए उसने खटाक से दरवाजा बंद कर दिया I
छाया का मुँह उतर गया I दोस्ती घुटन में बदल गयी I इतने में चौका -बर्तन करनेवाली आई I सीधे रसोईघर में गई I मिट्टी के घड़े से दो गिलास ठंडा पानी गट- गट पीकर चैन की साँस ली I
मालकिन की घुटन शोले बनकर उस पर बरस पड़ी --
-यहाँ हलक तर करने के टोटे पड़ रहे हैं और तू - - - एक साथ दो गिलास पानी चढ़ा गयी I तेरे घर में पानी नहीं है क्या !
तीखी आवाज से महरी सहम गयी I मालकिन की परेशानी में उसे अपनी झलक दिखाई देने लगी I उदासी उसकी आँखों से झरझर बहने लगी I
-मेरे घर में वाकई में पानी नहीं हैं I वर्षों से प्यासी मछली की तरह इस त्रासदी को झेल रही हूं I पचास झोंपड़ियों की जिन्दगी एक नल पर टिकी है I
तडके ही लाइन में लगना पड़ता है तब कहीं एक बाल्टी पानी हिस्से आता है I
-एक बाल्टी पानी !- - बस - - -I
-हाँ मालकिन !आपने तो आज पानी की कीमत समझी है I वर्षों - - उसे बेतहाशा -बेदर्दी से बहाया है I अब तो सब इलाकों में पानी की आपूर्ति समान रूप से होगी I आप जैसे लोगों से बचकर कुछ पानी तो हमारी झोली में आकर गिरेगा I
मालकिन को 'समान ' शब्द से चिढ़ हो उठी I माथा थामकर पीढ़े पर बैठ गई I सोच के आवारा बादल टकराने लगे- - -समानता - - -उदारता का राग - - - जहन्नुम में जाये I घरेलू-पालतू नौकरों का अकाल पड़ गया तो मेरा - - - - - क्या होगा I
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