|1| दुल्हन /सुधा भार्गव
वह नई नवेली दुल्हन शर्मायी सी सुबह से कूड़े के ढेर पर बैठी थी ।उसके चारों ओर कौवे मंडरा रहे थे ।वह कौवे उड़ाती जाती और बड़बडाती --- -अरे नाशपीटों ,कुछ तो छोड़ दो ।दो दिन से भूखी हूँ । थोड़ी देर में मेरा पति भी रोटियाँ लेकर आ जाएगा ।कुछ मैं जुगाड़ कर लूंगी कुछ वह कर रहा है ।
बीच -बीच में फटी साड़ी से अपने शरीर को ढांपने की कोशिश करती कि कहीं ये उड़ें तो दूसरे कौवे न आन बैठें ।इन्तजार करते -करते संध्या ढलने को हुई पर न उसका स्वामी आया और न ही उसे रोटियाँ मिलीं ।उस बेचारी को क्या मालूम था कि दोनों ही बंद हैं -एक बोतल में तो दूसरी साहूकार की बोरी में ।
-अरे पुत्तर , तेरी बहन की शादी के दिन करीब हैं ।लिस्ट बना ली क्या ?किस किस को शादी के निमंत्रण कार्ड भेजे जायेंगे ।
--हाँ पप्पाजी ,बस एक सरसरी निगाह डाल लो ।
-ये क्या---- !ऐसे बनती है लिस्ट ?
--तो ----।
--लिस्ट में पहले नंबर पर वे आते हैं जिन्हें हमने समय -समय पर उपहार दिए हैं ।नंबर दो में वे शामिल रहते हैं जिनसे मेरा मतलब पड़ता है या पड़ने वाला है ।
-ठीक है जी ।
-कुछ लोग खाने के बड़े शौकीन होते हैं ,उन्हें जरूर बुलाना है ।खायेंगे -पीयेंगे ,हमारे गुणगान करेंगे ।भेंट -शेंट भी अपने हिसाब से कुछ तो देंगे ही ।
--पप्पा जी ---ये लिस्ट तो हनुमान जी की पूंछ होती जा रही है ।इसे सभाँलेगा कौन ?
--घबरा क्यों रहा है ---।आज भी कुछ की सोच है -बहन -बेटी की शादी में काम करने जाना चाहिए न कि खाने को ।ऐसे लोगों को तो जरूर ही बुलाना है ।
--लेकिन कार्ड तो तब भी बच जायेंगे |
--बच जाने दे ----ये फुटकारियों के काम आयेंगे ।
--फुट करिया ----इनका नाम तो मैं पहली बार सुन रहा हूँ ।
--हाँ --हाँ फुट करिया !ये वे लोग हैं जो आना तो चाहते हैं पर हम नहीं बुलाना चाहते ।
-तो इन्हें भी भेज दूँ कार्ड ।
-मूर्ख कहीं का !शादी से पहले कार्ड मिल गए तो आन टपकेंगे । अभी तो मैं बहुत व्यस्त हूँ फालतू समय में भेज देंगे इनको ।चिंता न कर --पुत्तर|
(कर्म निष्ठा मासिक पत्रिका में प्रकाशित )
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