दहेज़ / सुधा भार्गव

समीरा को बचपन से ही शतरंज खेलने का शौक था | वह घंटों अपने दादाजी के साथ बैठी खेला करतीI उम्र बढ़ने के साथ-साथ शौक भी उफनती नदी की तरह बढ़ता गया I एक दिन वह इसकी चैम्पियन बन गई I
उसके पड़ोस  में टेनिस  का खिलाड़ी  विक्रम भी  रहता था दोनों  ही एक  कालिज  में  पढ़ते  थे I पटती  भी  आपस  में  खूब  थी I बड़ी  होने पर दोनों  ने  शादी  करने  का  निश्चय  किया  I
विक्रम के पिता जी ने स्पष्ट शब्दों में समधी जी से कहा -हमें दहेज़ नहीं चाहिए ,केवल बेटी समीरा चाहिए |
विक्रम के पिता जी ने स्पष्ट शब्दों में समधी जी से कहा -हमें दहेज़ नहीं चाहिए ,केवल बेटी समीरा चाहिए |
शादी  साधारण तरीके  से  हो  गई I
एक  संध्या विक्रम  ने  कुछ  दोस्तों  को  घर  पर  चाय  के  लिए  बुलाया I मित्रों  को  विश्वास  ही  नहीं  होता  था  कि बिना दहेज  के  शादी   भी  हो  सकती  है I 
एक का स्वर मुखर हो उठा -
-यार यह तो बता ,सौगातों में तुझे ससुराल से क्या -क्या मिला है ?
-हमने तो बहुत कहा --कुछ नहीं चाहिए - - - लेकिन हाथी -घोड़े तो साथ बांध ही दिये I
हाथी -घोड़े !पूछने वाला सकपका गया I
हिम्मत करके पुन : पूछा --जरा दिखाओ तो - - - I
-जरूर !जरूर !
-समीरा ,लेकर तो आओ और मेरे दोस्त की तमन्ना पूरी करो |
खुशी -खुशी वह गयी और शीघ्रता से हाथों में एक डिब्बा लेकर उपस्थित हो गयी I
बड़ी आत्मीयता से उस मित्र से बोली --क्या आप को भी शतरंज खेलने का शौक है I मैं अभी उसे मेज पर सजा देती हूं I देखें- - - किसके हाथी -घोड़े पिटते हैं I
दोस्त को देखकर विक्रम ने हँसी का एक ठहाका लगाया I वह तो बिना खेले ही शतरंजी चाल में फँस चुका था I
* * * * *
एक का स्वर मुखर हो उठा -
-यार यह तो बता ,सौगातों में तुझे ससुराल से क्या -क्या मिला है ?
-हमने तो बहुत कहा --कुछ नहीं चाहिए - - - लेकिन हाथी -घोड़े तो साथ बांध ही दिये I
हाथी -घोड़े !पूछने वाला सकपका गया I
हिम्मत करके पुन : पूछा --जरा दिखाओ तो - - - I
-जरूर !जरूर !
-समीरा ,लेकर तो आओ और मेरे दोस्त की तमन्ना पूरी करो |
खुशी -खुशी वह गयी और शीघ्रता से हाथों में एक डिब्बा लेकर उपस्थित हो गयी I
बड़ी आत्मीयता से उस मित्र से बोली --क्या आप को भी शतरंज खेलने का शौक है I मैं अभी उसे मेज पर सजा देती हूं I देखें- - - किसके हाथी -घोड़े पिटते हैं I
दोस्त को देखकर विक्रम ने हँसी का एक ठहाका लगाया I वह तो बिना खेले ही शतरंजी चाल में फँस चुका था I
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