शनिवार, 13 फ़रवरी 2010
एक प्रयास
तूलिकासदन में मैंने तूलिका चलाकर उसे संतुष्ट करने का छोटा सा प्रयास किया है मगर संतोष कहाँ !इसकी रचनाएँ स्वरचित एवं प्रकाशित हैं |अपना अमूल्य समय देकर अनेक मित्रों ने इसका अवलोकन किया है I आशा है भविष्य में भी इसी प्रकार का सहयोग मिलता रहेगा I २०१० में पहली बार कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूं Iसुधी पाठक अवश्य साहित्य की इस विधा में रूचि लेंगे I
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