मेरी दो लघुकथाएं
1--बंद ताले /सुधा भार्गव
छोटे भाई की शादी थी । दिसंबर की कड़ाके की ठण्ड ,हाथ पैर ठिठुरे जाते थे पर बराती बनने की उमंग में करीब १२० बराती लड़कीवालों के दरवाजे पर एक दिन पहले ही जा पहुंचे ।
पिताजी सुबह की गुनगुनी धूप का आनंद लेने के लिए जनमासे में चहल कदमी करने लगे । कुछ दूरी पर उन्होंने देखा ५ --६ युवकों की एक टोली बड़े जोश में बातें कर रही है ।
-क्या बात है,तुम लोग नहाये नहीं !। पिताजी ने पूछा
-कैसे नहायें अंकल ,बाथरूम में बाल्टी ही नहीं हैं ।
-अभी बाल्टियाँ मंगवाए देता हूं और क्या चाहिए वह भी देख लो ।
-मेरे बाथरूम में तौलिया भी नहीं है दूसरा युवक बोला ।
-ठीक है चुटकी बजाते ही सब हाजिर हो जायेगा ।
पिताजी तो चले गये पर लड़कों का लाउडस्पीकर चालू था ।
-जब इंतजाम नहीं कर सकते तो ये लड़कीवाले बारातियों को बुला क्यों लेते हैं ।
-अरे दोस्त लगता है ये सस्ते में टालने वाले हैं । हम ऐसे सस्ते में टलने वाले नहीं ।
उनकी बातें विराम पर आना ही नहीं चाहती थीं लेकिन सामने से एक सेवक को बाल्टियों और तौलियों से लदा -फदा देख उनके मध्य मौन पसर गया -
एक बुजुर्ग महाशय को जब यह पता चला कि बारातियों की मांगे खुद पिताजी पूरा कर रहे हैं तो उनसे यह भलमानसता सही न गई ।
बोले- --त्रिवेदीजी लड़के के पिता होकर समधी के सामने इतना झुकना ठीक नहीं । आखिर हम सब हैं तो बराती | बराती तो बराती ही होते हैं ।
-लड़के -लडकी का रिश्ता हो जाने के बाद दो परिवार एक हो जाते हैं। मेरी तो यही कोशिश रहेगी कि दोनों
के सुख -दुःख ,मान -अपमान की कड़ियाँ इस प्रकार बिंधी रहें कि भोगे एक तो अनुभूति हो दूसरे को। पिताजी शांत स्वर में बोले ।
सुनने वालों के दिमाग के ताले खुल चुके थे ।
2---तुम महान थे /सुधा भार्गव
1--बंद ताले /सुधा भार्गव
छोटे भाई की शादी थी । दिसंबर की कड़ाके की ठण्ड ,हाथ पैर ठिठुरे जाते थे पर बराती बनने की उमंग में करीब १२० बराती लड़कीवालों के दरवाजे पर एक दिन पहले ही जा पहुंचे ।
पिताजी सुबह की गुनगुनी धूप का आनंद लेने के लिए जनमासे में चहल कदमी करने लगे । कुछ दूरी पर उन्होंने देखा ५ --६ युवकों की एक टोली बड़े जोश में बातें कर रही है ।
-क्या बात है,तुम लोग नहाये नहीं !। पिताजी ने पूछा
-कैसे नहायें अंकल ,बाथरूम में बाल्टी ही नहीं हैं ।
-अभी बाल्टियाँ मंगवाए देता हूं और क्या चाहिए वह भी देख लो ।
-मेरे बाथरूम में तौलिया भी नहीं है दूसरा युवक बोला ।
-ठीक है चुटकी बजाते ही सब हाजिर हो जायेगा ।
पिताजी तो चले गये पर लड़कों का लाउडस्पीकर चालू था ।
-जब इंतजाम नहीं कर सकते तो ये लड़कीवाले बारातियों को बुला क्यों लेते हैं ।
-अरे दोस्त लगता है ये सस्ते में टालने वाले हैं । हम ऐसे सस्ते में टलने वाले नहीं ।
उनकी बातें विराम पर आना ही नहीं चाहती थीं लेकिन सामने से एक सेवक को बाल्टियों और तौलियों से लदा -फदा देख उनके मध्य मौन पसर गया -
एक बुजुर्ग महाशय को जब यह पता चला कि बारातियों की मांगे खुद पिताजी पूरा कर रहे हैं तो उनसे यह भलमानसता सही न गई ।
बोले- --त्रिवेदीजी लड़के के पिता होकर समधी के सामने इतना झुकना ठीक नहीं । आखिर हम सब हैं तो बराती | बराती तो बराती ही होते हैं ।
-लड़के -लडकी का रिश्ता हो जाने के बाद दो परिवार एक हो जाते हैं। मेरी तो यही कोशिश रहेगी कि दोनों
के सुख -दुःख ,मान -अपमान की कड़ियाँ इस प्रकार बिंधी रहें कि भोगे एक तो अनुभूति हो दूसरे को। पिताजी शांत स्वर में बोले ।
सुनने वालों के दिमाग के ताले खुल चुके थे ।
2---तुम महान थे /सुधा भार्गव
अनाथालय के अध्यक्ष महोदय ने भाषण दिया --
-पछले वर्ष 50 अनाथ बच्चों को सनाथ बनाया गया ।गोद लेने से पहले उनके होने वाले माता -पिता की अच्छी तरह से जाँच
-पड़ताल की गई ।जब पूरी तरह तसल्ली हो गई कि असीमित प्यार लुटाते हुए वे असीम गहराई
के साथ उनका भविष्य निर्माण करेंगे तभी गोद देने की कार्यवाही पूरी हुई
।सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा ।
भाषण फिर चालू हुआ -पांच वर्ष पूर्व दिए
बच्चों के अभिभावकों को हमने इस समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित किया है
ताकि बच्चों से सम्बंधित उपलब्धियों को जान कर गर्व का अनुभव किया जा
सके ।
भाषण समाप्ति के बाद एक विशिष्ट देश का नागरिक खड़ा हुआ ।
-मैं गोद लिए बच्चे के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ ।
सब की नजरें उस पर केन्द्रित हो गईं ।
विलियम मेरा दत्तक पुत्र
---तुम महान थे |मेरा पुत्र 11वर्ष का हो गया था ।
उसने न जाने कितनों
का जीवन सँवार दिया ।अपनी एक जिन्दगी के बदले 10
को नई जिंदगियाँ दे गया ।लेकिन मुँह से उफ तक न की ।
सुनने वाले सकपका गए ।
--आप कहना क्या चाहते हैं
।अध्यक्ष के धैर्य की दीवार ढह गयी ।
विदेशी ने फिर कहना शुरू किया --पिछले माह बम
विस्फोट के कारण स्कूल बच्चों की लाशों से पट गया ।अस्पताल
बच्चों की दर्दनाक चीखों से हिल गया ।विलियम ने जीतेजी अपनी दोनों खूबसूरत
आँखें और गुर्दे दूसरों के लिए दान कर दिए ।अफसोस ! उसके दिल का उपयोग न हो सका
।कमजोरी के कारण अचानक उसके ह्रदय की गति
रुक गई ।लेकिन उसका बहुत बड़ा दिल था।मेरे प्यारे विलियम --तुम महान थे ।
सुनने वाले समझ नहीं पा रहे थे कि वे हँसें या रोयें , दाद दें अध्यक्ष महोदय की
या उस विदूषक की जो अपने को विलियम का पिता कहता था ।
* * * * *
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बहुत सार्थक सन्देश देने लघु कथाओं के लिए आभार ! काश पिताजी जैसे बाराती आज भी हों तो किसी लड़की के पिता को लड़की चिंता का विषय न रहे .
जवाब देंहटाएंbahut hee sundar sandesh deti aapki laghu kathaen man ko gehr chhu gaeen.kaash hamare samaj men ese log hote.badhai.
जवाब देंहटाएंदोनो ही कहानियाँ मन को छूती हुई और सार्थक भी :)
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