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मेरा कल /सुधा भार्गव  | |
-बहुत देर से मैं तुझे घूमते हुये देख रहा हूँ ।कभी झुकी कमर वाले को प्रणाम करता है ,कभी लड़खड़ाते व्यक्ति को सलाम करता है । उस दिन तो तूने कमाल कर दिया -------।
-पहेलियाँ न बुझाओ । जो कहना है जल्दी कहो । 
-हाँ ---हाँ मुझे मालूम है --तेरे पास समय  नहीं है । 
शर्मा अंकल की बात तो समझने में  उस दिन दस मिनट लगा दिये  और मजे की बात --  तू उनसे गप्प ठोंकने की तब भी बराबर  कोशिश करता रहा । मेरी ओर एक नजर तक नहीं डाली ।क्या मैं इतना गया बीता हूँ। 
-दोस्त प्रणाम करके उन लोगों को इस बात का एहसास कराना चाहता हूँ कि वे बंदनीय हैं ।तू मेरा आज है ,उन लोगों में मैं अपना कल देखता हूँ ।
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