गुफा / सुधा भार्गव
-माँ ,मैंने चोकलेट और औरेंज टोफियाँ भिजवाई थीं ---मिल गईं |
-हाँ !
--कल सोयाबीन ,गेहूँ और बार्ली से बनी मिठाई लाया था |
-हाँ --हाँ --वह भी मेरे पास है ।
-उन्हें रखकर भूल मत जाना ,दो दिन में खाकर ख़त्म करना हैं ।चक्की से कह दिया है आपके मोबाईल से इंडिया का सिम कार्ड निकालकर यहाँ का डाल दे ताकि फोन करने में कम पैसा लगे ,बस एक छोटा सा हल्का सा छाता और खरीदना है |भरोसा नहीं कब इंद्र देवता मेहरबान हो जायें |अच्छा , धूप का चश्मा और कैमरा तो इंडिया से लाई होंगी --कहीं भी जाओ इन सब चीजों को एक बैग में रखकर ले जाना --और हां मेरा परिचय कार्ड भी उसमें डाल लेना |एक साँस में सब बोल गया ।
वह मुग्ध भाव से सुनतीरही | मेरा इतना ध्यान -------!
बेटा दो कदम गया ही था कि फिर लौटा -जेब से १००पाउंड्स निकालकर माँ के हाथ में थमाए -ये भी रख लो |
--न -- न मेरे पास हैं |
-ओह ले भी लो माँ काम आएंगे |पुत्र की कमाई पर माँ का भी हक़ है |
पुत्र के अंतिम वाक्य ने उसका मुँह सी दिया |
बेटा तो जल्दी ही ऑफिस चला गया पर वह --
वह शर्म की अँधेरी गुफा में धंसती चली गई ।.ख्यालों के बादल एक -दूसरे से टकराने लगे -----------------
उस दिन थका -मांदा बेटा शाम को ऑफिस से घर लौटा था ,| छोटी बेटी जल्दी से आई और अपने पापा के हाथ में कप थमाते बोली --चाय गरम ---गर्मागर्म चाय | चाय पीकर उसकी थकान कपूर की तरह उड़ने लगी |थोड़ी देर में बड़ी बेटी आई --मेरे प्यारे पापू --जरा आराम से सोफे पर लेट जाओ |मैं सिर की चम्पी तेल मालिश कर देती हूँ ,उसके बाद नहाना |
बेटियों की दूध सी स्नेह धारा देख उसके मुँह से निकल पड़ा ---बेटियाँ कितना ध्यान रखती हैं !बेटे अपनी ही धुन में----वाक्य पूरा करने से पहले ही उसने अपनी जीभ काट ली पर तीर कमान से निकल चुका था | बेटा मौन था पर उस चुप्पी में भी हजार प्रश्न झिलमिला रहे थे ।वह उनमें बिंध सी गई ।
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दोनों के अन्दर संस्कारगत खूबियाँ होती हैं .... संस्कार नहीं तो क्या बेटा और क्या बेटी
जवाब देंहटाएंप्रथम अमूल्य टिप्पणी के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबेटे और बेटी का स्नेह दिखाने के अलग अलग तरीके होते हैं.परन्तु स्वभावगत बेटी का स्नेह ज्यादा प्रभावित करता ही है:) बेचारे बेटे :).
जवाब देंहटाएंएक पल मुझको भी ऐसा लगा ।
हटाएंरश्मि जी ने सब कह दिया जो हम कहना चाह रहे थे ।
जवाब देंहटाएंअनुभूति का सहज सामंजस्य !धन्यवाद ।
हटाएंअब क्या कहे.... :(
जवाब देंहटाएंकुछ शब्दों में ही बहुत कुछ कह दिया है ,धन्यवाद ।
हटाएंबहुत खूब ...वटवृक्ष के जरिये पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ ..बहुत अच्छा लगा .......
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है ।आशा है अब इस ब्लॉग पर आती रहेंगी और मेरा मनोबल बढ़ाएंगी ।
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जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक पोस्ट, आभार.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा.
छोटी सी कथा ने बहुत कुछ कह दिया...
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