वेदना-संवेदना के बीहड़ जंगलों को पार करती हुई बड़ी खामोशी से तूलिका सृजन पथ पर अग्रसर हो अपनी छाप छोड़ती चली जाती है जो मूक होते हुए भी बहुत कुछ कहती है । उसकी यह झंकार कभी शब्दों में ढलती है तो कभी लघुकथा का रूप लेती है । लघुकथा पलभर को ऐसा झकझोर कर रख देती है कि शुरू हो जाता है मानस मंथन।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

हिन्दी साहित्य एक विशाल समुद्र है जिसकी हर लहर एक शुभ्र विधा है | जब यह लहर सहज सार्थकता के सांचे में ढली हृदय के कोने सौन्दर्य देखते ही बनता है
| इसी को ध्यान में रखते हुए इस ब्लॉग का आरम्भ किया है | इसका सदैव प्रयास रहेगा स्वस्थ , अर्थयुक्त और उद्देश्य पूर्ण सृजन |

शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

लघुकथा

गुमसुम -- सुधा भार्गव










चार वर्ष का नन्हा टोडी- ''माँ का दुलारा ,बाबा का प्यारा ,बहन का निराला राजा भैया I''
पॉँच वर्ष का होते ही वह स्कूल जाने लगा i तब से ये सारे विशेषण छू-मंतर हो गये i स्कूल जाते समय माँ हिदायत देती -कायदे से रहना i नन्हा समझ न पाया -कायदा किसे कहते हैं i
बाबा बोले ,''ज्यादा बातें न करना I '' नन्हा अचकचा गया ,बाबा को क्या हो गया है i
मेरी बातें सुनकर हँसते थे ,गले लगाते थे ;वे ही कह रहे हैं --चुप रहना I

स्कूल का प्रथम दिन था बच्चे धीरे -धीरे स्कूल के प्रांगण में कदम रख रहे थे I कक्षा में वे कुछ देर खामोश रहे नजरें ऊपर उठीं I एक दूसरे से टकराईं I चेहरों पर धूप सी फैल गयी I कक्षा में मैडम के घुसते ही बच्चे अपनी जगह खड़े हो गये I चहलकदमी ,चहचाहट से मैडम के माथे पर बल पड़ गये I नन्हा टोडी मन ही मन दोहराने लगा --बातें नहीं करना है , कायदे से रहना है I
दो बच्चों ने एक दूसरे को देखा साथ -साथ मुस्काने लगे मैडम को उनकी भोली मुस्कान काँटे सी चुभ गयी मैडम ने उनमें से एक का कान उमेठ दिया ,दूसरे को मुर्गा बना दिया --''अब भूल जाओगे सारी शैतानी i ''

नन्हें टोडी के दिमाग ने फिर ढूँढना शुरू कर दिया --यह शैतानी क्या होती है ?क्या हँसने को- - - - शैतानी कहते हैं ?वह गुमसुम हो गया I
वह घर पहुंचा तो शरीर कम मन ज्यादा थक चुका था I घर आकर उसने राहत की साँस ली I ''बेटा ,थक गए होगे खाना खाकर सो जाओ ''माँ ने कहा I
''माँ आज मैं नहीं सोऊंगा ,आप सो जाओ ''कहकर वह अपने खिलौनों में उलझकर मन की थकान मिटाने लगा I''
''उफ !क्या खटपट कर रहा है ?मुझे सोने दे और तू भी सो जा ;वर्ना तेरी मैडम से कह दूंगी I''
'' यह मैडम ,माँ और मेरे बीच कहाँ से आ टपकी !''नन्हे को दिखाई देने लगा वह लड़का जिसका मैडम ने कान मरोड़ा था I वह डर गया I

नन्हा टोडी स्कूल जाता रहा ,पर सहमा -सहमा I अब कक्षा में एकदम चुप रहने लगा I मैडम ने पूछा-''पांच फलों के नाम बताओ ?''और उसकी तरफ इशारा किया ,''तुम हमेशा चुप बैठे रहते हो खड़े होकर बताओ I''
नन्हा टोडी जनता था ;मगर मैडम की घुड़की से हकलाने लगा I
मैडम ने उसकी डायरी उठाई और उसमें लिखा ,''आपका बच्चा बहुत सुस्त है ,बहुत गुमसुम रहता है I हकलाता भी है I तुरंत किसी अच्छे डाक्टर को दिखाइये I


चित्रांकन -सुधा भार्गव